STORYMIRROR

PRAMOD KUMAR CHAUHAN

Inspirational

4  

PRAMOD KUMAR CHAUHAN

Inspirational

दर्शन

दर्शन

1 min
244


जिसे में

पत्थरो में ढूंढने चला हूँ  

वह तो मेरे अंदर ही बसा है।

लेकिन  

मेरी आंखों पर 

लालच का पर्दा 

मन में फरेब पला है।


मैं

उसको 

देख नहीं पाया 

और यहां वहां तहां 

उसकी तलाश में 

भटकता ही रहा

भटकता ही रहा।


पर

वह तो 

मेरे अंदर ही बसा है।

जिस दिन

मेरी आंखों से 

लालच फरेब का 

धूल भरा पर्दा हटेगा।


उस दिन

दृव्य दृष्टि मिलेगी 

सच्चा उजाला दिखेगा।

मैं जिसकी तलाश में 

यहां वहां तहां भटक रहा हूँ  

एक दिन वो 

सामने आकर दर्शन देगा।


उस दिन 

उसकी तलाश पूरी होगी 

तब मेरा जीवन धन्य होगा ..|

तब मेरा जीवन धन्य होगा ..|

तब मेरा जीवन धन्य होगा ..|


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational