नाम
नाम
मेरे
नाम में
समाहित है
व्यक्ति और परिवार की
प्रसन्नता
जो आन्तरिक
आनंद की अनुभूति दे।
मर्जी से काम
करने की खुशी हो
जिसका बंटवारा
न हो सके
जो मुरझाए चेहरे पर
रौनक ला सके।
हर्ष की भावाभिव्यक्ति हो
श्रृंगार का स्थायी भाव
हिलोरे ले
सुखमुख अनुकूल प्रिय हो
आराम, चैन व सुख की
जिसमें सहजता हो।
जीवन सकारात्मक
संभावनाओं से भरा हो
जो परोपकारी व हँसमुख
स्वभाव से परिपूर्ण हो।
जो दिमाग व शरीर से
आराम न ले
चिंतन, मनन के साथ
कुछ नया करे, नया सोचे
पूरे जोश के साथ
विपरीत धाराओं को भी
अपनी ओर मोड़ सके।
पर ये तो
नाम में संयोजित है
व्यक्ति में नहीं
जन को तो
समुद्र की ऊंची लहरों
तूफानों, खाईं और
कलयुगी मनुष्य की रुकावटों
से भिड़ना होता है
कर्तव्य पथ पर चल
मंजिल पाना होता है
तब आदमी नाम को
चरितार्थ करता है।
तब व्यक्ति नाम को चरितार्थ करता है।।
तब आदमी नाम को चरितार्थ करता है ...।।