आत्मा
आत्मा
आत्मा
नश्वर शरीर को त्याग कर
पक्षी की तरह उड़ गई
अब बिना हलचल बाला
शरीर मात्र बचा है
जिसे कुछ पल तक
सब लोग अपना सगा
संबंधी बता रहे थे
अब सब उससे दूर जा रहे हैं
उसका शरीर अब अस्पृश्य है
उसकी आत्मा अदृश्य है।
बचा है
उसके द्वारा एकत्रित धन
जिसके लिए परिवार में
बंटवारे को लेकर हो रहा झगड़ा
अब किसी को इस शरीर से
स्नेह लगाव सम्मान नहीं है
सबको अपने-अपने हि
स्से का इंतजार है
पर कोई नहीं कर रहा बटवारा
उसके सत्कर्म समर्पण कर्तव्यनिष्ठा
ईमानदारी व जीवंत कमाए हुए व्यवहार का
पर आत्मा इस शरीर को त्याग कर
किसी और में जा चुकी है
पर अन्य की आत्माएं
हिस्से के लिए लड़ रही हैं
अपनों का अपनों पर ही वार कर रही है
हिस्से में ज्यादा से ज्यादा लेने का
और मिलने का प्रतिकार कर रही है।
और मिलने का प्रतिकार कर रही है।
और मिलने का प्रतिकार कर रही है।