बोझ उठाता बच्चा
बोझ उठाता बच्चा
बोझ उठाता देखा, इक बच्चा मैंने,
सड़क पर लड़खड़ाते कदम थे उसके,
नन्हा सा था, और कदम छोटे थे उसके,
कपड़े जो पहने, वो भी कुछ तंग थे उसके,
माथे पर पसीना, हाथ काले रंग पड़े थे उसके,
पैरों के छाले भी, सुर्ख पानी छोड़ रहे थे उसके,
कंपकंपाती होठों पर, दर्द छलक रहा था उसके,
पर आँखों में सपने कुछ पाने के हज़ार थे उसके,
वक्त की दहलीज़ पर, रुकने के विचार ना थे उसके,
मंज़िल की चाहत से भरे, बहुत ऊँचे अरमान थे उसके,
बोझ उठाता देखा, इक बच्चा मैंने,
बुरे हाल, मगर जीत के ख्याल थे उसके।।