बंसी बजाई तूने सांवरिया
बंसी बजाई तूने सांवरिया
बंसी बजाई तूने सांवरिया, हो गई मैं तो बावरिया।
बंसी बजाई तूने सांवरिया, हो गई मैं तो बावरिया।।
तेरी बंसी मुझे पुकारे, मैं दौड़ी आउ जमना किनारे,
ये सुध बुध मैं बिसराऊं, जग मुझको ताना मारे।
अब लाज गवाई मैंने सांवरिया, बनके तेरी जोगणिया।
बंसी बजाई तूने सांवरिया.......
तेरा रूप है कितना है सोणा, तू कर गया जादू टोना।
कजरारे तेरे ये नैना, मेरा छीनकर ले जाएं चैना।
अब हाथों में तेरे बाँसुरिया, छम छम बाजे तेरी पायलिया।
बंसी बजाई तूने सांवरिया.........
तेरे छप्पन भोग बनाऊँ, माखन भी संग में लाऊँ
मिश्री सी मैं घुल जाऊँ, और भाव से भोग लगाऊँ।
अब चुपके से खाले साँवरिया, फोड़ के सारी दही हंडिया
बंसी बजाई तूने सांवरिया............
मेरा मोहन मुरली वाला, तुझ पर ये तन मन हारा।
हैं स्वार्थ के रिश्ते यहाँ पे, बस तू ही एक सहारा।
अब हाथ पकड़े ले सांवरिया, पार लगा दे उमरिया।
बंसी बजाई तूने सांवरिया........
राधा बन बाट निहारूँ, गोपियों के जैसे पुकारूँ
कब आओगे मुरली वाले, मैं तेरा रास्ता निहारूँ।
अब जल्दी से आजा सावरिया, दर्शन को तरसे ये अँखिया।
बंसी बजाई तूने सांवरिया........

