कलम
कलम
जीवन छोटी एक कलम,रोज घिसे मिट जाय
लिख जा ऐसी लेखनी,लेखन मिट ना पाय।
कर जीवन मे अच्छे कर्म,कर्मो का फल मिलता जाय
कर्मों से बनते इंसान महान,इस धरा पर स्वर्ग समाय।
लिख अपनी लेखनी में विरह ,लेखन में प्रेम बरसाय
शब्द चुने सुंदर से,जिन्हें पढ़ कर मन खुश हो जाय।
जब से थामी हैं कलम,बस एक ही चिंता सताए।
क्यो एक लेखक को,उसका हक न मिल पाए।
जब दिल मे दर्द उठता,कलम जब चलती जाय।
भीगे अश्को से है पन्ने,भाव कोई न समझ पाय।
जीवन की कहानी,कितना दर्द सहकर लिखी जाय।
दिल बन गए पत्थर,किताबें अलमारी की शोभा बढ़ाय
लेखन हैं अनमोल ,यह बात अब कोई भी समझ न पाए
चंद पैसों के लिए किताबें, रद्दी में बिकती नजर आए।
लिखूं में सच्चाई, मेरी बात बुरी सभी को लग जाय
लेखक को सच्चाई लिखने से,कभी कोई न रोक पाय।