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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

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Dhanjibhai gadhiya "murali"

Tragedy

बना ले अपना दास

बना ले अपना दास

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सरगम के फूलों की माला,

ले कर मैं आया तेरे द्वार।

तेरे शरण में अर्पण करता हूँ,

श्याम बना ले अपना दास।

युगों युगों से भटक रहा था,

राह भूल गया था मेरे नाथ।

नाम स्मरण तेरा करता हूँ,

श्याम बना ले अपना दास।

डूबने लगी है जीवन नैया,

कर दो अब भवसागर पार,

दिल से पुकार तुझे करता हूँ ,

श्याम बना ले अपना दास।

शरण में मुझ को ले लो आज,

और हाथ पकड़ लो मेरे नाथ।

"मुरली" तुझे नमन करता हूँ ,

श्याम बना ले अपना दास।



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