बन जा तू शायरी मेरी...
बन जा तू शायरी मेरी...
बन जा तू शायरी मेरी,
मैं कविताएं तुझ पर लिखता रहूं...
कभी तेरे अंशों में छुप जाऊँ,
कभी तेरे अल्फाजों में दिखता रहूं...
बन जा तू शायरी मेरी,
मैं कविताएं तुझपर लिखता रहूं...
कल्पना की कश्ती हो तेरे हवाले,
शब्दों पर मेरे तेरा राज हो...
लिखूं जब कोई नई रचना,
तो तेरे नाम से ही आगाज़ हो...
ख्यालों की पतंग सी तू उड़ती रहे,
मैं कलम की डोर खींचता रहूँ...
बन जा तू शायरी मेरी,
मैं कविताएं तुझपर लिखता रहूँ...
फासलों में भी सुकून मिले,
तेरे नए फसानों से...
हर कविता पर तेरी मुलाकात हो,
तेरे नए दीवानों से...
रहते रहते दिल में तू,
दिल की एक राहत बन जा..
चढ़कर सबकी जुबानों पर,
एक नई कहावत बन जा...
चर्चाएं हो तेरी हर जगह,
तेरे नाम से मैं बिकता रहूं...
बन जा तू शायरी मेरी,
मैं कविताएं तुझपर लिखता रहूं....
कभी तेरे अंशों में छुप जाऊँ,
कभी तेरे अल्फाजों में दिखता रहूं...
बन जा तू शायरी मेरी,
मैं कविताएं तुझपर लिखता रहूं...