बलिदान न भुलाएँ हम
बलिदान न भुलाएँ हम
खून से सींचा है शहीदों ने हर कोना,
अंगार को ओढा़, बनाए काँटे बिछौना ।
आने वाली पीढ़ी को खुशहाल बनाने ,
गुलामी की जंजीर से माँ भारती छुड़ाने।
स्वतंत्र हिमालय से माँ का भाग सजाने,
आज़ाद गगन के सितारे चूनर ओढ़ाने।
भूल गए थे वे अपना जागना सोना ,
खून से सींचा है शहीदों ने हर कोना।
बुलंद इरादे लिए बढ़ते चले गए,
तोप के मुंह बाँधें वो उड़ते चले गए ।
फांसी फंदा गले में चढ़ते चले गए ,
फिर भी वे रुके नहीं लड़ते चले गए।
देके जान लगाया मांँ के शीश ढिटोना ,
खून से सींचा है शहीदों ने हर कोना।
उन शहीदों का बलिदान ना भुलाएँ हम,
फूल शहीदों की मजार पर चढ़ाएँ हम ।
दिखाए रास्ते पर उनके बढ़ते जाएंँ हम,
मशाल उन्नति की पकड़ बढ़ते जाएँ हम ।
सजा के रखना हमें माँ का रूप सलोना ,
खून से सींचा है शहीदों ने हर कोना।
वंदे मातरम् वंदे मातरम्