सपनों की दुनिया
सपनों की दुनिया
मुझको सपनों की दुनिया ने घेरा
साथ बहिना के छोटा भैया था मेरा।
वन में घने जंगल से हम जा रहे थे
हम दोनों नाम हनुमान का गा रहे थे।
वहाँ किसी पंछी ने पत्ता हिलाया
हम दोनों ने सोचा कि लो शेर आया।
भैया धीर से बोला कहाँ तीर मेरा
मुझको सपनों की दुनिया ने घेरा।
एक दूजे को कसकर था पकड़ा
भूत ने जैसे दोनों को था जकड़ा।
सायंँ - सायंँ हवा कर रही थी
मेरी सांँस सिसकी से भी डर रही थी।
बहन बोली भैया गया दम तो मेरा
मुझको सपनों की दुनिया ने घेरा।
वहाँ पड़ा बड़ा ढेला था मैंने उठाया
गरजते शेर के सिर पर सीधा जमाया।
बड़ा सा शेर पट से वहीं गिर पड़ा था
बडे़ से शेर के पास भैया खड़ा था।
मेरा सपना टूटा, हुआ था अब सवेरा
मुझको सपनों की दुनिया ने घेरा।
