वृक्षारोपण
वृक्षारोपण
झूमें नाचे गायें हम खुश हो खुशियाँ मनाएँ हम,
वृक्षारोपण के द्वारा धरती को स्वर्ग बनाए हम।
धरती का रूप सजा कर हरियाली चादर ओढा़एँ हम,
हरी-भरी कर धरती को दुनिया जग सब हरयाएँ हम।
बूंँद बूंँद से सागर भरता भरे बूंँद से गागर बतलाएँ हम,
फूल -फूल से गुलशन बनता कली से माला बनाएंँ हम।
एक बीज से पौधा पनपे वृक्ष -वृक्ष से वन बताएंँ हम,
छोटे-छोटे घास के कण अपनी धरती पर उगाएँ हम।
मांँ से बढ़कर धरती मांँ है अपना फर्ज निभाएँ हम,
वृक्ष लगाकर अपनी धरती मांँ का ऋण चुकाएँ हम।
काटे वृक्ष अंधाधुंध जो हमनेअपनी भूल मनाएंँ हम,
वृक्षों की रक्षा करें कुछ तो अब संभल ही जाएँ हम।
जन्मदिन पर एक पौधा देकर खुशियाँ दिखाएँ हम,
घर में अपने जगह है छोड़ें फलदार वृक्ष लगाएँ हम।
नवजीवन सबको देने वाली हरियाली को बढ़ाएंँ हम,
सबसे उत्तम रीत यही, अपनी वन संपदा बचाएं हम।
