Rahul Dwivedi 'Smit'

Romance

4.9  

Rahul Dwivedi 'Smit'

Romance

बिना तुम्हारे रह न सकूँगा

बिना तुम्हारे रह न सकूँगा

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मेरी पलकों के साये में, ख़्वाब सजाकर तुम पलते हो ।

बिना तुम्हारे रह न सकूँगा, यदि कहते हो, सच कहते हो ।।

 

इन साँसों का साज अगर है, तो केवल बस अफ़साना है ।

बिना तुम्हारे जीवन मेरा, क्या है..? केवल वीराना है ।

हर धड़कन के प्रहरी बनकर, दिल में प्रति पल तुम रहते हो ..

बिना तुम्हारे...............।।


मेरे हमदम समय मिले तो, पढ़ना कुछ पैगाम लिखा है ।

प्रेम ग्रंथ के हर पन्ने पर, एक तुम्हारा नाम लिखा है ।

अक्षर-अक्षर तन्हाई को, दूर तुम्हीं बस कर सकते हो.....

बिना तुम्हारे................।।


जन्म-जन्म का साथ हमारा, पल दो पल की बस दूरी है ।

सूर्य और किरणों में केवल, बदली भर की मजबूरी है ।

गहन अँधेरों में प्रकाश की, धारा जैसे तुम बहते हो....

बिना तुम्हारे..............।।


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