बिना तुम्हारे रह न सकूँगा
बिना तुम्हारे रह न सकूँगा
मेरी पलकों के साये में, ख़्वाब सजाकर तुम पलते हो ।
बिना तुम्हारे रह न सकूँगा, यदि कहते हो, सच कहते हो ।।
इन साँसों का साज अगर है, तो केवल बस अफ़साना है ।
बिना तुम्हारे जीवन मेरा, क्या है..? केवल वीराना है ।
हर धड़कन के प्रहरी बनकर, दिल में प्रति पल तुम रहते हो ..
बिना तुम्हारे...............।।
मेरे हमदम समय मिले तो, पढ़ना कुछ पैगाम लिखा है ।
प्रेम ग्रंथ के हर पन्ने पर, एक तुम्हारा नाम लिखा है ।
अक्षर-अक्षर तन्हाई को, दूर तुम्हीं बस कर सकते हो.....
बिना तुम्हारे................।।
जन्म-जन्म का साथ हमारा, पल दो पल की बस दूरी है ।
सूर्य और किरणों में केवल, बदली भर की मजबूरी है ।
गहन अँधेरों में प्रकाश की, धारा जैसे तुम बहते हो....
बिना तुम्हारे..............।।