बिखरते अरमान
बिखरते अरमान
शतरंज के मोहरे मुझे पसंद बहुत थे और शतरंज खेलना भी
शतरंज में मुझे सबसे अच्छी बात लगती थी
कि हाथी सीधा चलता तो घोड़ा ढाई चाल और सबसे अच्छी बात तो यह थी
कि राजा और रानी एक दूसरे के विश्वास के प्रतीक होते हैं राजा एवं रानी कब खेल तो पसंद था
लेकिन मैं रानी हूं ने को तत्पर थी तो फिर राजा ने चाल कैसे बदल दी
राजा खेल के नियम के विरुद्ध क्यों हो गए और हम शतरंज के मोहरे बनकर रह गएl
जिनके बच्चे रहने पर खेल तो चलता है लेकिन राजा रानी के बिना खेल खत्म हो जाता है
और मोहरा का कोई अस्तित्व नहीं रहता
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काश !जिंदगी का खेल शतरंज की तरह होता
तो कोई चालबाज ना होता और हर सिपाहियों का अपना वजूद होता
पर शतरंज का खेल जिंदगी के खेल से कितना अलग है ना क्यों क्या कहते हो क्यों दिखाए जाते हैं
वह सपने जिन्हें तोड़ा जाता है
जिंदगी हो या अपने जब दिखाते हैं सपने तो फिर क्यों अरमानों को बिखेर दिया जाता है
जिंदगी मैं अगर कोई बातें ना करें दिखावे ना करें सपने ना दिखाएं तो फिर
जिंदा अरमानों को क्यों तोड़ दिया जाता है
मुझे अपना बना कर क्यों छोड़ दिया जाता है।