बुढ़ापा.. एक अभिशाप या!!!
बुढ़ापा.. एक अभिशाप या!!!
नाम सुनते ही झुर्रियाँ भरे वयोवृद्ध आँखों में तैरते,
असहाय,क्षीण,निर्बल और दयनीय चेहरे जेहन में उभरते,
हमारी उम्र का भी यही तकाज़ा एक दिन इसी मोड़ पर होंगे,
इनकी हालत देख लगता हम इनसे बद्तर हालात में होंगे,
वृद्धाश्रम तो पश्चिम की देन हैं भारत में तो सन्यास आश्रम थे,
पाश्चात्य संस्कृति अपनाते हम रिश्तों का मर्म ही भूल गये,
जिनकी अथाह सम्पति या जिनके कोई ना थे इसमें सब आये,
आये सब फ़र्क इतना कोई पैदल तो कोई छोड़े गए महंगी कार से,
सहायतार्थ वृद्धाश्रम बनाया होगा बनाने वाले ने यही सोच के,
कि इसमें रहे वो जिनकी देखभाल वाला ना हो या हो गरीब घर से,
जिनके अपनों के दिलों में जगह नहीं थी वो आये इसमें रहने,
स्वार्थ की आजादी के सामने शर्मसार हो रहे ख़ून के रिश्ते।।
