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Rishab K.

Romance

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Rishab K.

Romance

भूरा

भूरा

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तेरी भूरी आंखें, इतनी मादक है,

जैसे किसी जादूगर का जादू,

नजर मिलते ही बेचैन कर देती हैं,

हो जाता हूं में बेकाबू।।

ऐसी इन्हीं आंखों, के सहारे जिंदा हूं,

निर्भर हूं इनपर सांस लेने के लिए भी,

इन में खुशी है तो मेरे जीवन में बाहर है,

कैसे इन से एक कतरा आंसू बहने दूं।।


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