भूख
भूख
भूख हम सब में है,
सिवाय भूख के हम नहीं रह सकते,
भूख तो है इच्छाओं का एक रुप,
हर एक चाहत, हर एक इच्छाओं को
पूरा करना भी एक भूख है ।।
चाहे दुख में हो या खुशी में
सभी का अलग अलग भूख है
जब दुखी होते है तब खुशियों के लिए भूख होता है
जब खुशी में रहते हैं तब और खुशियां पाने की भूख होता है ।।
जब हम छोटे बच्चे रहते हैं
तब जल्दी जल्दी बड़े बन्ने की भूख होती है
और जब बुढ़ापा आता है
तब फिर से बचपन में लौट जाने की भूख होता है ।।
चाहे जीवन में सब कुछ मिल जाए
फिर भी और ज्यादा पाने की ये भूख कभी मिटता ही नहीं
ये भूख की समुंदर बहुत ही बड़ी और अनोखी होता है
जिसका पानी कभी खतम नहीं होता ।।