चलो चांद पर करें अभियान
चलो चांद पर करें अभियान
बात तो है गर्व की जो इतनी ऊँचाई पर पहुँच गया,
शुरु हुआ था 2008 में, आज 2023 पर आ गया।
इतिहास ने हमें दिखाया की हम कितनी मेहनत की है अंतरिक्ष में जाने का,
बार बार हारकर भी सफलता पाने का।
कालाम जी ने जब बिज्ञान की नई पहचान दिया था,
साईकिल में चढ़ा कर यान की टुकरो को इकट्ठा कर रहा था।
इकट्ठा करते करते सफर तो शुरु हो गया,
चांद को छूने का ख्वाब सच होता जा रहा।
इसरो के साथ साथ सतीश धवन स्पेस सेंटर का नाम भी बढ़ रहा है,
श्रीहोरीकोटा में भी तो इन सालों में चार चाँद लग गया है।
अब तक सिर्फ चांद ही नहीं और भी प्रयास किए जा चुके हैं,
यान चंद्
रमा के अलावा अन्य ग्रहों पर भी पहुंच चुका है।
आसमान को चिर कर सफलता के साथ यान जब उड़ गया,
आंखो में उड़ान की खुशियाँ भर भर कर झलक रहा।
जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता गया वैसे ही सफलता मिल रहा था,
मन में भी तो उतना ही नई नई उमंग जग रहा था।
हर बार की सफलता ने प्रयास जगाई चांद में घूमने का,
चांद की कोने कोने में क्या है ये जानने का।
ले आया चांद की मिट्टी और भूमि पर निशान छोड़ आया,
लहराती हुई तिरंगा के साथ देश की पहचान बनाया।
नमन करते हैं उन सभी बैज्ञानीकों को जिन्होंने देश का नाम रोशन किया है,
हमें गर्व है कि हमारा देश भी आगे बढ़ रहा है।।