सपना
सपना
मैं सपना देखती हूं, आसमान में पंछी की तरह उड़ने की ।
मैं सपना देखती हूं, एक तारे की तरह चमकने की ।
मैं सपना देखती हूं, सपनों की उस प्यारी भूमि में खो जाने की ।
मैं सपना देखती हूं, वह रंगीन इंद्रधनुष को छूने की ।
मैं सपना देखती हूं, चाँद की जैसा अँधेरे में रास्ता दिखाने की ।
मैं सपना देखती हूं, अज्ञात की इस विविध दुनिया को जानने की ।
मैं सपना देखती हूं, कोयल की तरह मधुर गायन की ।
मैं सपना देखती हूं, सपनों की दुनिया में खुद को लुटाने की ।
सपनों की ये दो आंखें कितनी उम्मीदों से भरी हैं,
कितने सारे बातें मन में आते हैं,
और सारी उम्मीदें, सारे बातें फिर वही
सपनों के राज़ में ही रह जाते हैं,
हर ये सपना सपनों के पन्नों में ही लपेटे हैं,
इसी लिए हर सपना मन का एक भाव होते हैं ।
