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Amlendu Shukla

Tragedy Others

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Amlendu Shukla

Tragedy Others

बहुत जलाया रावण

बहुत जलाया रावण

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बहुत जलाया रावण हमने,

फिर भी जला नहीं पाए।

उसे जलाने के चक्कर में,

देखो कहाँ चले आये।

धू-धू कर रावण हैं जलते,

हर कूचे, चौराहे पर।

फिर भी जिसे जलाना था,

उसको जला नहीं पाए।

बहुत जलाया रावण हमने,

फिर भी जला नहीं पाए।


हर साल जलाया हमने उसे,

फिर भी वह बढ़ जाता है।

पहले एक अकेला था,

अब घर घर पाया जाता है।

नहीं समझ में आता है,

क्या अमृत सूखा अभी नहीं।

जो जितना उसे जलाते हैं,

उतना वह बढ़ जाता है।

पहले एक अकेला था,

अब घर घर पाया जाता है।

शुरू किया अपहरण जो उसने,

अंकुश लगा नहीं पाए।

बहुत जलाया रावण हमने,

फिर भी जला नहीं पाए।


जला रहे रावण, रावण को,

राम देख इसको हैं लजाये।

यही मूल कारण है जिससे,

अब तक उसे जला न पाये।

बहुत जलाया रावण हमने,

फिर भी जला नहीं पाए।


रावण तब जल जाता है,

जब राम जलाने आते हैं।

शबरी के मीठे बेरों की ताकत,

जब भर लाते हैं।

आसान जलाना बहुत उसे,

हम राम यहाँ तो हो पाएं।

हम राम नहीं हो पाएं,

जिससे हम जला नहीं पाये।

बहुत जलाया रावण हमने,

फिर भी जला नहीं पाए।।


    


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