भरोसे की तस्वीर
भरोसे की तस्वीर
मैने अजनबी से रिश्ता जोड दिया,
उसके प्यार में दीवाना मैं बन गया,
उसकी असलियत सामने आई तब,
अपनी बेखुदी पे शर्मिंदा मैं बन गया।
मैंने उसको मेरे दिल में पनाह दिया,
उसके प्यार में मदहोंश मैं बन गया,
लेकिन फरेबी प्यार में फसाया तब,
उसका असली चेहरा सामने आ गया।
मुझको लुंटकर पायमाल बना दिया,
मेरा प्यारभरा दिल उसने तोड दिया,
उसकी बेवफाई मेरे सामने आई तब,
मुझे प्यार शब्द से भरोसा उठ गया।
मुझे खिलौना समझकर छोड़ दिया,
मुझे नफरत की आग में जला दिया,
ये भरोसा भी कैसी तस्वीर है "मुरली",
मुझे अजनबी का प्यार भारी पड गया।
रचना:-धनज़ीभाई गढीया"मुरली" (ज़ुनागढ-गुजरात)

