भला बुरा क्या? (अच्छाई -बुराई)
भला बुरा क्या? (अच्छाई -बुराई)
भला बुरा क्या करें विवेचन,
गुण अवगुण देखे जाते !
जब जब चढ़े तुला पर हैं ये,
मूल्यांकन वैसा पाते !
कामकाज का लेखा जोखा,
आपस में व्यवहार बना !
सत्कर्मों की राह चले तो,
सुख अंतर में पले घना !
यही भलाई शिखर चढ़ी तो,
कुछ अवगुण भी छिप जाते !
कहीं किसी को अगर छला तो,
वह भी सबकी नजर चढ़ा !
दुष्कर्मों में जो भी डूबा,
वही अंत की ओर बढ़ा !
खुद की करनी, खुद की भरनी,
कर्मों का प्रतिफल पाते !
बातें हो परिवारों की या,
हम समाज की बात करें !
रंग नहीं गुण का अंकन है,
बात ध्यान बस यही धरें !
जीवन सदा संतुलन चाहे,
सभी विवेकी अपनाते !
अच्छी बुरी नज़र कम मानो,
दोष विचारों में पलता !
मन टोका टाकी करता है,
मनुज कहाँ वैसा ढलता !
सदा सद्गुणी, कर्मठ हों हम,
जीवन को तब महकाते !