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bhagawati vyas

Abstract

4.5  

bhagawati vyas

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भला बुरा क्या? (अच्छाई -बुराई)

भला बुरा क्या? (अच्छाई -बुराई)

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भला बुरा क्या करें विवेचन,

गुण अवगुण देखे जाते !

जब जब चढ़े तुला पर हैं ये,

मूल्यांकन वैसा पाते !


कामकाज का लेखा जोखा,

आपस में व्यवहार बना !

सत्कर्मों की राह चले तो,

सुख अंतर में पले घना !

यही भलाई शिखर चढ़ी तो,

कुछ अवगुण भी छिप जाते !


कहीं किसी को अगर छला तो,

वह भी सबकी नजर चढ़ा !

दुष्कर्मों में जो भी डूबा,

वही अंत की ओर बढ़ा !

खुद की करनी, खुद की भरनी,

कर्मों का प्रतिफल पाते !


बातें हो परिवारों की या,

हम समाज की बात करें !

रंग नहीं गुण का अंकन है,

बात ध्यान बस यही धरें !

जीवन सदा संतुलन चाहे,

सभी विवेकी अपनाते !


अच्छी बुरी नज़र कम मानो,

दोष विचारों में पलता !

मन टोका टाकी करता है,

मनुज कहाँ वैसा ढलता !

सदा सद्गुणी, कर्मठ हों हम,

जीवन को तब महकाते !


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