दिवाली
दिवाली


मावस का अँधियारा भागा ,
जागा है उजियारा !!
बन्दनवार सजे हैं द्वारे ,
दीपशिखाएँ जागी !
रांगोली के रंग सजे हैं ,
उम्मीदें बड़भागी !
आज खुशी है घर घर नाचे ,
दुख भागा थक हारा !!
आज राम वन से लौटे थे ,
रही अयोध्या सज्जित !
तबसे दीपावली आयी है ,
घर , नगरी हैं शोभित !
जनमानस यह पर्व मनाता ,
जगमग ज्यों जग सारा !!
खील बताशे और पटाखे ,
पूजें धन - लक्ष्मी को !
खाते बही नवीन करें हम ,
बाँट बधाई सबको !
उजियारा मन में रोशन हो ,
रहता लक्ष्य हमारा !!
ऊर्जा त्योहारों से मिलती ,
और उमंगें जागे !
मन से मन के तार जुड़ें तो ,
रिश्ते मनहर लागे !
सुख दुख का बँटवारा होता ,
लगे न आँसू खारा !!