जादू
जादू
गीत
जादू वह जो सर चढ़ बोले ,
सम्मोहन की डोर से !!
भीड़ बड़ी है , गुपचुप सारे ,
नायक सबका एक है !
एक छड़ी है हाथ घूमती ,
भेद कई पर नेक है !
मन , मस्तिष्क जगाते रहते
करतल ध्वनि के शोर से !!
साँसे उठती , गिरती रहती ,
पल पल में रोमांच है !
चमत्कार आँखों को लगता ,
झूठ दिखे जो साँच है !
जहाँ कल्पना दम साधे है ,
बस तिलिस्म के जोर से !!
पंखों को फैलाये पंछी ,
अनगिन से उपहार भी !
तैर हवा में गायब चीजें ,
करतब को दें धार भी !
पुलकित सारे बैठे रहते ,
अचरज भरी हिलोर से !!
अँधियारे में है सन्नाटा ,
लीला करते प्रेत जो !
जादू अपना असर दिखाता ,
दिल कितने मजबूत जो !
कटना , अंगों का जुड़ना भी ,
अंत देखते गौर से !!
जादूगर की बात निराली ,
नज़र हमारी बाँधता !
हमको जो दिखलाना चाहे ,
लक्ष्य वही है साधता !
सीमाओं को अपनी जाने ,
करता तप घनघोर से !!
सत्ता के नायक जो ठहरे ,
बाजीगर से जान लो !
उनका चश्मा नज़र हमारी ,
जो दिखलाते मान लो !
शब्दों का तिलिस्म वह जानें ,
करते भाव विभोर से !!