भींगा मौसम
भींगा मौसम
ये भीगे भीगे से लम्हें
बारिश का मौसम
और उस पर तुम्हारा
बूँदों की रिमझिम से ताल मिलाकर
मुझे मेरा नाम लेकर पुकारना,
हाये मार ड़ाला....
आज बहुत अरसे बाद
फिर से लग रहा है की
मैं स्पेशल हूँ....
आज अपना नाम बहुत भा रहा है
तुम्हारे लबों से निकला मेरा नाम
ज़िन्दगी के फ़िके से जायके में
तड़का लगा गया....
तुम्हारा मुझे पुकारना
दिल के तारो को छेड गया
आज मेरे सुर्ख चेहरे पे लालित्य सभर
भाव उभरकर छलक रहे है....
कोई प्रणय गीत बार-बार ठहर
जाता है खुद ब खुद ज़ुबाँ पर
पैर थिरक उठते है बिन पायल......
गूँजती है एक ही आवाज़ तुम्हारी
लगातार रस घोलती मेरे कानों में
मेरा नाम ले लेकर खिंचती है
अपनी और मैं बहती चली जाती हूँ
उस आवाज़ के साये से लिपटी......
और सीधे समा जाती हूँ तुम्हारी आगोश में
तुम धीरे से कान पर से बालों की
लट हटाकर वापस गुनगुनाते हो मेरा नाम
मैं शरमाकर और सिमट जाती हूँ......
उफ्फ तौबा
क्या गजब ढा रहे है तुम्हारे खयाल इस
भीगे से मौसम में
रुत मन के तारो को छेड़ रही है कर जाती है मुझको बेकरार॥