भेज देती है
भेज देती है
साथ ख़ुशबू कुछ तितलियां भेज देती है,
याद करती है हिचकियां भेज देती है।
क्युँ नहीँ मिलती इन बहारों के मौसम में,
कुछ बहाने चालाकियां भेज देती है।
शाम तन्हाई दरमियाँँ नर्म हैं आहें,
याद की कुछ पुरवाइयां भेज देती है।
नींद आयॆ जो बाद इन गिन के तारों को,
रात ख्वाबों की झपकियांं भेज देती है।
पास आकर बिजलियां जो गिराती वो,
बादलों में कुछ बदलियां भेज देती है।