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Pradeep Rajput "Charaag"

Romance

4  

Pradeep Rajput "Charaag"

Romance

न सके ...

न सके ...

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धड़कनों की सदा सुना न सके,

बात दिल की ज़बाँ पे ला न सके।


मेला चाहत का तो क़रीब रहा,

चाहकर पास उन के जा न सके।


रूह ने इश्क का जो नाम दिया,

हम दिलो जाँँ उसे लूटा न सके।


जिंदगी किस तरह बसर ये करें,

अपना हमदम उसे बना न सके।


"दीप" तन्हाइ में ज़ला तो किया,

रौशनी खुद तले दिखा न सके।


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