न सके ...
न सके ...
धड़कनों की सदा सुना न सके,
बात दिल की ज़बाँ पे ला न सके।
मेला चाहत का तो क़रीब रहा,
चाहकर पास उन के जा न सके।
रूह ने इश्क का जो नाम दिया,
हम दिलो जाँँ उसे लूटा न सके।
जिंदगी किस तरह बसर ये करें,
अपना हमदम उसे बना न सके।
"दीप" तन्हाइ में ज़ला तो किया,
रौशनी खुद तले दिखा न सके।

