जला दे चराग़
जला दे चराग़
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दिलकी बस्ती को यूँ ज़लादे चराग़,
अंधियारा घना हटादे चराग़।
रौशनी से ये घर जला तो न दोगे,
क्या निभाओगे अपने वादे चराग़।
साथ यूँ ही मिरे जन्म भर रहोगे,
अब न छोडोगे ये बतादे चराग़।
कितने फिरते मुझे बनाने अपना,
मर मिटी तुझपे अब पतादे चराग़।
मैं हसीँ ये कहा किये लोग मुझसे,
है यकी ये ज़रा बता दे चराग़।
गुम कहाँ रहते हो यूँ खामोशी में,
मुझसे क्या हैं बता इरादे चराग।