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Pradeep Rajput "Charaag"

Abstract

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Pradeep Rajput "Charaag"

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दिल की चाहत

दिल की चाहत

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आपका दामन खुशियों से महकाऊँगा,

इश्क में खुद को कांटों से उलझाऊँगा।


हो वो कितना बर्फीला जो सागर तो क्या,

एहसासे मुहब्बत से  पिघलाऊँगा।


तेज कितनी भी लहरें सुनामी आयें,

चीर कर वो दरिया पार करजाऊँगा।


सामने मंजिल रोको न मेरा रास्ता,

हौसला भर दीवारों से टकराऊँगा।


गाँठ कैसी भी इस डोर में लग जाये,

बन जुलाहा गिर्दे खुद से सुलझाऊँगा।


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