आदत
आदत
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तुमको तो अक्सर ही मुझको तड़पाने की आदत है ,
कह ना पाऊँ, कहना चाहूँ घबराने की आदत है ।
चार दीवारी में ये दम घुटता है ना जाने क्यों ,
अब तो तन्हा ख़ुद को तुम बिन समझाने की आदत है ।
जब भी देखूँ देखता जाऊं आहें भरूं अब तो,
हंसते हंसते तुमको अक्सर शरमाने की आदत है ।
माना के तुम कोई तितली गुलशन में हो नाजुक सी ,
फूलों से अक्सर यूँ दामन सुलझाने की आदत है ।
ढ़लती जाए रात दीवानी दीदार में तेरे ,
चाँद कोई बदली में हो छुप जाने की आदत है ।
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