STORYMIRROR

Pradeep Rajput "Charaag"

Romance

3  

Pradeep Rajput "Charaag"

Romance

आदत

आदत

1 min
277

तुमको तो अक्सर ही मुझको तड़पाने की आदत है , 

कह ना पाऊँ, कहना चाहूँ  घबराने की आदत है । 


चार  दीवारी में  ये दम  घुटता है  ना जाने  क्यों , 

अब तो तन्हा ख़ुद को तुम बिन समझाने की आदत है ।


जब भी देखूँ  देखता जाऊं आहें भरूं अब तो,  

हंसते हंसते  तुमको अक्सर शरमाने की आदत है ।


माना के तुम कोई तितली गुलशन में हो नाजुक सी , 

फूलों से अक्सर यूँ दामन सुलझाने की आदत है ।


ढ़लती  जाए  रात  दीवानी  दीदार में  तेरे , 

चाँद कोई बदली में हो  छुप जाने की आदत है ।


.


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance