Bheege Nayan (भीगे नयन) - by Gurdarshan (तन्हा)
Bheege Nayan (भीगे नयन) - by Gurdarshan (तन्हा)
क्यों सूखा सूखा सा है आज फिर मेरा मन !
तेरी याद ने भिगो दिए आज फिर मेरे नयन,
बारिश की बूंदे हैं और मेरे आंसू भी, मिलकर भी मिटा ना पाएंगे विरह की यह अगन,
जिस मोड़ पर बिछड़े थे हम, वह लम्हा आज भी ठहरा सा है,
चलो प्यार से फिर अपने मेरा तुम, भर दो यह आंगन,
क्यों तेरी याद ने भिगो दिए मेरे नयन |
इन दूरियों को पास अपने क्यों आने दिया हमने,
मिलकर हमने वफा की जब खाई थी कसमें,
चलो मिलकर आज अपना-अपना ढूंढे फिर से मन,
क्यों तेरी याद ने भिगो दिए मेरे नयन |
टूटा सा एक तारा बन आकाश में खो जाऊंगा,
ढूंढते रह जाओगे, फिर मिल न पाऊंगा,
आओ बदल दो समा कर दो ना चमन,
क्यों तेरी याद ने भिगो दिए मेरे नयन |
याद है ! गर्मियों में, छत पर गुजारी वह सुनहरी रातें,
लगता था जैसे - अब न टूटेगा हमारा यह प्रेम-बंधन,
अचानक फिर तुम क्यों दूर हो गए मुझसे, क्यों बदल लिया अपना वह प्यार वाला मन ?
क्यों तेरी याद ने भिगो दिए मेरे नयन |
चलो थाम कर हाथ मेरा, रास्ते कट जाएंगे,
गिले हैं मुझसे जो अपने-आप मिट जाएंगे,
जिंदगी थीँ, जिंदगी हो, रहना जिंदगी ही बन,
क्यों तेरी याद ने भिगो दिए मेरे नयन |
मेरी मोहब्बत पर, गर ऐतबार नहीं तुमको,
बेवजह है रहना उस पल में की जिसमें तुम ना हो,
मूंदकर आँखें अपनी, एक बार दिल की सुन, ग़म-ए-फ़ुर्क़त से निकल बदल ये चलन !
क्यों तेरी याद ने भिगो दिए आज मेरे ये नयन |