भावहीन शब्द
भावहीन शब्द


भावों का शब्दहीन होना
अखर जाता है अक्सर जब मेरी कही बातें बेअसर होती हैं
तब मौन हो कर भी कुछ कहना चाहा पर वो भी बेअसर रही।
नहीं आते भारी भरकम शब्द
नहीं जानती शब्दों को सजाने की कला
सीधे सादे शब्दों मे ही मेरी बात छुपी है।
आजकल तो भाव भी खाली से हो गए हैं
अपने लिए शब्दों के बाजार में सही चुनाव की तलाश में
नहीं मिलते वो शब्द जो मेरे भावों से मेल खाये
क्या कहूँ कैसे कहूँ
तुम तक अपनी पाती कैसे पहुंचाऊं?
अच्छा सुनो न,
मौन पढ़ना जानते हो ?