बंदी
बंदी
अपने ही घरों के बंदी हो गए हम
इस कोरोना काल में खो गए है हम
बेचैन हैं इस कदर अपने ही आशियाने में
तोड़ कर पिंजरा निकल जाने को बेताब है हम
कदमों को रोका है मिलने जुलने से रोका है
खुद से मिलो न तुम्हें किसने रोका है
उड़ लो, दौड़ लो चाहे जितनी उड़ाने भर लो
मन से ख़्वाबों से दुनिया को नाप लो
सागर की गहराई तक डूब जाओ
अपने आप में डूब कर खुद को पहचान लो
बंदी बन कर सपनों की उड़ान तय करो
खुद से कर लो मुहब्बत बेहिसाब बेमिसाल...
