नम्रता सिंह नमी
Drama
कितनी अजीब भीड़ थी
हाथों में डंडा लिए
आक्रोश से भरे
चिल्लाते
एक साथ एक ही
दिशा में दौड़ते
और फिर क्या
लाठी की मार मार मार
और अलविदा सांसें।
मिठास
चाँद
लकीरे
भीड़
बेतरतीब
अनजाने कंधे
सांस
गुमनाम मौत
बंदी
भाव
लोगों की खुशी में खुशी मेरा व्यवहार हैं तू जानती हैं माँ तेरा बेटा बॉर्डर का पहरेदार लोगों की खुशी में खुशी मेरा व्यवहार हैं तू जानती हैं माँ तेरा बेटा बॉर्डर का...
जैसे हैं आप अच्छे हैं आप अपने जैसा बने मत हो जाए इतना ही बहुत है। जैसे हैं आप अच्छे हैं आप अपने जैसा बने मत हो जाए इतना ही बहुत है।
सक्षम सबल हिंदी वैज्ञानिक ना भारत तक विरमित हो ! सक्षम सबल हिंदी वैज्ञानिक ना भारत तक विरमित हो !
यम को कंपाने वाले ये शब्द आज उसी की गोद में सो गया। यम को कंपाने वाले ये शब्द आज उसी की गोद में सो गया।
तो इसे लिख भी लेता हूँ, तुम पढ़ कर बताना, के मैं कैसा लिखता हूँ। तो इसे लिख भी लेता हूँ, तुम पढ़ कर बताना, के मैं कैसा लिखता हूँ।
किसी और दिन तुम देना मुझे धमकी चाँद रौशन हुआ तुम खोलो तो खिड़की। किसी और दिन तुम देना मुझे धमकी चाँद रौशन हुआ तुम खोलो तो खिड़की।
वे उसकी जान बचा सकते थे, सभी महिलाओं को एक बेहतर जीवन दे सकते थे। वे उसकी जान बचा सकते थे, सभी महिलाओं को एक बेहतर जीवन दे सकते थे।
द्वेष राग की अग्नि में जल कर, जिजीविषा लाचार हो गयी ! द्वेष राग की अग्नि में जल कर, जिजीविषा लाचार हो गयी !
उन खुशियों पर अपना हक अदा करके दिमाग को फसलों के जैसे पानी में डूबा के चला जाता है। उन खुशियों पर अपना हक अदा करके दिमाग को फसलों के जैसे पानी में डूबा के चला ज...
वाह रे मेरा आधुनिक भारत ये तो सच में, मेरे देश को बदल रहे हैं। वाह रे मेरा आधुनिक भारत ये तो सच में, मेरे देश को बदल रहे हैं।
चलते चलते जब काँटे चुभे तो लहुओं पर ना तकते हैं बस चलते हैं बस चलते हैं। चलते चलते जब काँटे चुभे तो लहुओं पर ना तकते हैं बस चलते हैं बस चलते हैं।
हम सारे ही खिलौने हैं, और अपना एक कोना है। हम सारे ही खिलौने हैं, और अपना एक कोना है।
बहुरंगी हों रंग तभी संसार नयन को भी भाए।। बहुरंगी हों रंग तभी संसार नयन को भी भाए।।
तुम्हारा प्यार मेरे लिए ज्यादा है। या कही मुझे मरने का इरादा है। तुम्हारा प्यार मेरे लिए ज्यादा है। या कही मुझे मरने का इरादा है।
चलो आओ करे फिर एक पहल रिश्तों के सम्मान की पहल करे दादा - दादी के नाम की। चलो आओ करे फिर एक पहल रिश्तों के सम्मान की पहल करे दादा - दादी के नाम की।
उठा लिया जब व्रत उद्धार का ले आऊंगी संसार में प्रलय भी। उठा लिया जब व्रत उद्धार का ले आऊंगी संसार में प्रलय भी।
इतना आसान है क्या सच में, इतना आसान है क्या ? इतना आसान है क्या सच में, इतना आसान है क्या ?
जीने की ख़्वाहिश मैं तिनका-तिनका मर रही हूँ मैं। तिनका-तिनका मर रही हूँ मैं। जीने की ख़्वाहिश मैं तिनका-तिनका मर रही हूँ मैं। तिनका-तिनका मर रही हूँ मैं।
भौतिक शांति हेतु विध्वंस हो रही है प्रकृति की सुंदर रचना। भौतिक शांति हेतु विध्वंस हो रही है प्रकृति की सुंदर रचना।
जाने क्यूँ है ये अन्धेरा ना हो कभी तू जुदा ना हो कभी तू खफा। जाने क्यूँ है ये अन्धेरा ना हो कभी तू जुदा ना हो कभी तू खफा।