अनजाने कंधे
अनजाने कंधे
नहीं मिले मेरे अपने तो क्या
वो चार कंधे शामिल थे
अनजाने अनदेखे वो कंधे
ना जाने मेरे किस जन्म का कर्ज उतार चले
कभी उम्र भर सोचा न था
अपनो के बिना यूँ ही चला जाऊंगा
ना देखा न सुना
ना चार बाते की
बस वो अनजाने कंधे मेरा कर्ज उतार चले
लगता है तुम्हीं मेरे अपने थे
जब कोई न था तुम्हीं थे
मुझे आखिरी सफर पर ले जाने को
ना जाने मेरे किस जन्म का कर्ज उतार चले।