भारतीय सैनिक
भारतीय सैनिक
माँ भारती के वीर सपूत
देश के रक्षक होते हैं
आतप शीत सहकर भी
जननी का कर्ज़ चुकाते हैं।
नदी पहाड़ सब पार करें
रेगिस्तानों में गश्त लगाते हैं
अपने प्राणों की कहाँ फ़िकर उन्हें
सैनिक छाती पे गोली खाते हैं।
कश्मीर से कन्याकुमारी की माटी तक
अपना दायित्व निभाते हैं
वे कंटकों से न घबराते हैं
दुर्गम पथ पर निज कदम बढ़ाते हैं।
जीवन संगिनी के सप्तपदी भूल
माटी को गले लगाते हैं
भगिनी का वचन भूल
मातृभूमि का फर्ज़ निभाते हैं।
मातृभूमि का फर्ज़ निभाते हैं।
असम से कच्छ के दलदल तक
सिंह सा गर्जन करते जाते
जब तक तन में साँस चले
वे दुश्मन के लहू बहाते हैं।