बेवफा
बेवफा
ना तू बेवफा है
ना मै हूं
पर शायद वो लम्हा ही
कुछ अलग ही थी
तू मजबुर था,
में भी मजबुर थी
हालाद ही कुछ ऐसे थे,
हम चाहे,
तो भी कुछ
कर ना सकेंगे।
हम मजबुर थे,
ज़माने के आगे।
हम को भी तो जीना था
इस दुनिया मैं,
जहां पर लकीर है
कुछ संस्कारो की
कुछ नियमों की,
कुछ रीवाज की।
साय द इसीलिए
तू ने भी
कदम पीछे ले लिया,
और मैं भी
पीछे हट गई।
शायद वो ही सही था।
बेवफा ना तू है
बेवफा ना मै हूं
फिर भी
वक़्त ने तुझे भी ये इनाम दिया
और मुझे भी।
इतनी वफा के वाद भी
आज
नाम मिल गई बेवफा की।
पर सच तो ये है,
बेवफा ना तू था,
बेवफा ना में हूं।
