तनहा
तनहा
कल भी मैं तनहा थी
आज भी तनहा हूं ....
बस फर्क इतना ही है कि
कल तनहा में
तेरे कोई याद नहीं था ...।
पर आज जब तनहा हूं
तब तेरे याद
मुझे जीने नहीं देते ......।
हर पल कहीं दूर
तू खड़ी नज़र आता है ,
पर जब पास जाओ
तो तू नहीं
बस तेरा खयाल होता है .....।
पता नहीं
क्यों हूं में इतनी
लाचार ....
क्यों तेरे याद
मुझे इतने बेबस बना देता है ....।
क्यों तेरे बिना
एक पल के भी
जीना इतनी मुश्किल होता है ...।
कल भी तनहा थी
आज भी तनहा हूं ....।