सपना
सपना
सपना इतना है कि
कहीं दूर
बहुत दूर तक चली जाऊं .....।
कहीं ऊँची उड़ान भर के
अपने पंखों को
आसमान में फेरा लूं.....।
पर ज़िन्दगी ने
इतने जिम्मेदारी
कंधों पे रख दी ,
की जिम्मेदारी संभालते संभालते
कंधा भी रोने लगा है ......।
इतनी रस्ता चल चुकी हूं
की पैर भी दुखने लगा है ....।
फिर भी ये सपना कभी
कम ना होगी ,
ये कदम कभी ना रुकेगा ....।
मंजिल के पास तो
पहुंचना ही है ...,
चाहे जितना भी कष्ट क्यों ना हो ,
सपना को पाना जरूर है ....।