बेवफा साथी
बेवफा साथी
उसे संभाले रखना जिसे तुमने अपना समझा,
आखिर क्यों दगा उसे जिसने अपना समझा।
लोग नहीं जानते कि तुम मेरी हो,
चुपके से छोड़ देना मुझे बर्बाद करके।
लेकिन गुमनाम मोहब्बत की आवाज,
अक्सर रुलाती है जिंदगी में याद करके।
इल्जाम ही अब क्या ईनाम है वफा का साथी,
ऐतवार भी क्या जब साथ नहीं बेवफा साथी।
एहसास उसे ही होता है जिसके दिल में प्यार होता है,
छोड़ वही देता है जिसके दिल में कोई और होता है।