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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

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Dr Lakshman Jha "Parimal"Author of the Year 2021

Tragedy

" बेटे ! तुम हमको भूल गए "

" बेटे ! तुम हमको भूल गए "

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बेटे ! अब तुम

हमको भूल गए!

पता नहीं किस

दुनियाँ में यूँ

तुम उलझ गए !!


मुड़ के भी

कभी देखते

नहीं कैसे हम

जीते हैं कभी

सोचते नहीं !!


समय की

कमी

शायद तुम्हें ही

खलती है !

पर बूढी आखें

अपने बच्चों

को देखने

को तरसती है !!


ससुराल तो

कैलाश है

लिप्त उसमें

भी रहो !

कर्त्तव्य तो

निर्वाह करना

है सभी का

तुम करो !!


जननी जो

जन्म देती है

स्नेह और

दुलार से

सिंचित जो

करती है !!


उनको भूल

जाते हो

उनकी सुधि

लेते नहीं !

दूर देश

रहकर अपनों

को याद

करते नहीं !!


समाज में रहकर

सामाजिकता को

हमें याद

करना होगा !

कितने भी दूर

हम रहें

अपनों को

नहीं भूलना होगा।




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