बेटा तो अब बड़ा हो गया
बेटा तो अब बड़ा हो गया
एक बाप चौखट पर टकटकी लगाए बैठा था
बेटा मोटर में बैठ के निकल गया
बाप को गर्व था कि बेटा साहब बन गया है
बेटे को शर्म आती है बाप अनपढ़ है
बाप ने खून को पानी की तरह बहाया
बेटे को शिकायत है बाप का पसीना बदबू करता है
गिरवी रख दी अपनी ज़मीन
उम्मीद थी बेटा एक दिन वापस ले आएगा
और बेटा उस ज़मीन को उसर बतलाता है
गांव के मिट्टी की महक,
शहर के इत्र के आगे कहीं खो सी गई
बाप बीमार पड़ा हुआ है टूटी चारपाई पे
कैसे आए बेटा जहाज़ का टिकट भी तो नहीं मिल रहा
मरते बाप को वक्त नहीं दे पा रहा है
सच में बेटा तो बहुत बड़ा हो गया है