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yogita singh

Abstract Classics Thriller

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yogita singh

Abstract Classics Thriller

दुल्हन

दुल्हन

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फूलों की डोली साजाई जा रही है

वो देखो

एक लड़की दुल्हन बनाई जा रही है

उसके सपनों की अर्थी उठाई जा रही है


वो देखो

एक लड़की दुल्हन बनाई जा रही है

जिस उम्र में हांथ में पकड़ने थे कलम

उस उम्र में घर कि चाभी थमाई जा री है


वो देखो

एक लड़की दुल्हन बनाई जा रही है

आंखो मे ना जाने थे कितने सपने

उन्ही आंखो से आंसू बहाए जा रही है


वो देखो

एक लड़की दुल्हन बनाई जा रही है

फूलों की डोली साजई जा रही है

वो देखो ना

एक लड़की दुल्हन बनाई जा रही है


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