STORYMIRROR

yogita singh

Romance

4  

yogita singh

Romance

अब के जो रंगना मोहे

अब के जो रंगना मोहे

1 min
421


कि अबके जो रंगना मोहे तो कुछ ऐसे रंगना श्याम

रंग चढे तो उतरे नाहीं मै हो जाऊं राधेश्याम

उस रंग रंगना मोहे जिस रंग के तुम हो श्याम

सुध बुध खो हो जाऊ जैसे राधा की थी श्याम

उड़े रंग में प्रीत हमारी निखरे हमरे गलियन पर

छलके गगरी रंगो वाली बिखरे हमरे अंगन पर

सुध बुध खो जब नाच रही हूं ,बंसी तभी बजाना श्याम

घुघुरू टूटे, टूट ही जाए , ऐसो राग बजाना श्याम

कि अबके जो रंगना मोहे तो कुछ ऐसे रंगना श्याम

रंग चढे तो उतरे नाहीं मै हो जाऊँ राधेश्याम

ये जग मोहे कहे बावरी मै हुई तिहारी प्रीत में

अबके आना जब तुम मोहन , तोहे भर लूंगी इन नयनन में

जग छूटे चाहे जग रूठे तुम मत मुझसे रुठो श्याम

रंग चढे तो उतरे नाहीं मै हो जाऊं राधेश्याम!



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance