अब के जो रंगना मोहे
अब के जो रंगना मोहे
कि अबके जो रंगना मोहे तो कुछ ऐसे रंगना श्याम
रंग चढे तो उतरे नाहीं मै हो जाऊं राधेश्याम
उस रंग रंगना मोहे जिस रंग के तुम हो श्याम
सुध बुध खो हो जाऊ जैसे राधा की थी श्याम
उड़े रंग में प्रीत हमारी निखरे हमरे गलियन पर
छलके गगरी रंगो वाली बिखरे हमरे अंगन पर
सुध बुध खो जब नाच रही हूं ,बंसी तभी बजाना श्याम
घुघुरू टूटे, टूट ही जाए , ऐसो राग बजाना श्याम
कि अबके जो रंगना मोहे तो कुछ ऐसे रंगना श्याम
रंग चढे तो उतरे नाहीं मै हो जाऊँ राधेश्याम
ये जग मोहे कहे बावरी मै हुई तिहारी प्रीत में
अबके आना जब तुम मोहन , तोहे भर लूंगी इन नयनन में
जग छूटे चाहे जग रूठे तुम मत मुझसे रुठो श्याम
रंग चढे तो उतरे नाहीं मै हो जाऊं राधेश्याम!