हो कोई ऐसा व्रत
हो कोई ऐसा व्रत
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एक स्त्री करती है व्रत त्याग तपस्या
ताउम्र
कभी पति , कभी पुत्र , कभी परिवार के लिए
क्यों हर बार स्त्रियों को
तपस्या और त्याग की मूरत बना के
जिम्मेदारियो के बोझ तले दबा कर
उनकी खुशियों की आहुति चढ़ाई जाती है
क्या कभी किसी ने सोचा
कोई एक व्रत होना चाहिए उनके लिए भी
ऐसा व्रत जिसमे पूरी हो उनकी हर मनोकामनाएं
ऐसा ऐसा व्रत जिसके द्वारा वो पा सके
अपने सपनो को
अपने अरमानों को ...।