हादसे
हादसे
हादसों में गुजार रही है जिंदगी
ना जाने हादसे कब खत्म होंगे
क्या चल रहा है इस दुनिया में
ना जाने फिर से कब खुशियों के दिन होंगे
राह तकती है निगाह और थक कर सो जाती है
ना जाने कब ये उजले शहर होंगे
ए - खुदा अब बख़्स अपनी रहमत
फिर से तेरे रहमतों के चर्चे खूब होंगे
हादसों में गुजार रही है जिंदगी
ना जाने हादसे कब खत्म होंगे।