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Kajal Manek

Tragedy

4  

Kajal Manek

Tragedy

बेरोजगारी

बेरोजगारी

1 min
74


जब बढ़ती है बेरोजगारी,

एक युवा छात्र की थम जाती है दुनिया सारी,


जिसने इतनी मेहनत की ताकि मिले बस एक नोकरी,

उसके सारे वो सपने और मेहनत पर पानी फेर देती है बेरोजगारी,


समाज में बढ़ती है जब मक्कारी,

बढ़ती है तब बेरोजगारी,


बस कहीं मिल जाये छोटा सा रोजगार,

इसी चिंतन में अकेला बैठा रहता है बेरोजगार,


जब बढ़ जाता है उसे तनाव किसी से नहीं रखता फिर वह सरोकार,

तब खुद को अकेला पाता है एक बेरोजगार,


कोई काम नहीं आती फिर छात्रों की कलाकारी,

निरतंर बढ़ती रहती है जब बेरोजगारी,


गलाकाट प्रतियोगिता करती है फिर दुनिया सारी,

निरतंर बढ़ती रहती है जब बेरोजगारी,


बस एक नोकरी की चाह में बेरोजगार ने अपनी आधी से ज्यादा उम्र गुजारी,

बुरे हालात होते हैं जब निरतंर बढ़ती रहती है बेरोजगारी।



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