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बेरोजगारी

बेरोजगारी

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नाकामी एक व्यक्ति की

या इस संपूर्ण शिक्षा तंत्र की।


जिसने हर व्यक्ति को

एक अंकपत्र दिलाया,

बेरोजगारों की

इस भीड़ को बढ़ाया।


कुकुरमुत्तों के झुण्ड से

ख़ुलते इन संस्थानो ने

शिक्षा के क्षेत्र में

हाहाकार मचाया।


शिक्षा के स्तर को यूँ गिराया,

चंद पैसो में अंकपत्र थमाया।

सबको एक समान बनाया,

इन अंकपत्रों को आधार बनाया।


अब सब चीख रहे...

चिल्ला रहे...

एक-एक जगह को पाने को

एक लाख पंक्ति लगा रहे।


गलत नहीं शिक्षा का प्रचार

गलत नहीं शिक्षित वर्ग का विस्तार

पर क्या वो शक्ति

वो जिजीविषा है

इनमें इस ज्ञान को अपनाने की।


या सिर्फ लालसा है

पैसो से अंकपत्र पा

इस भीड़ को बढ़ाने की।।


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