बेरोजगारी
बेरोजगारी
बेरोजगारी सुरसा की तरह मुंह फैलाये,
क्या कभी हमने सोचा ये क्यों न जाये।
बेरोजगारी ने कर दिया जीवन बर्बाद,
सर्वत्र नशा दुकानें कैसी हो रही आबाद
शिक्षा मक़सद नौकरी से जोड़ देखा ,
उद्यम से मोड़ मुख खींची लक्ष्मणरेखा
रोजगार की कहीं कोई कमी न होती ,
बाबूगिरी की चाह में हमारी बुद्धिसोती
करें चरितार्थ तब अपना हाथ जगन्नाथ,
पहचान दें धंधे को अपने हुनर के साथ।
बेरोजगारी दुम दबा, भाग यों जायेगी ,
गूलरफूल, गधासींग, सी नजर न आयेगी।
उद्यम करसृजित, कौशल को पहचान
अन्नपूर्णा माटी ये ,कृषि को दे सम्मान।
नौकरी की चाह में जूते घिस एड़ी घिसी
पशुपालन से रोटी खा फिर दूध मिसी।
कर परिश्रम, उगा मेहनती मीठे फल,
कुछ समय की बात, होगा स्वर्णिमकल।