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KK Kashyap

Fantasy

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KK Kashyap

Fantasy

बे-गम

बे-गम

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दिखते हैं हम, हर नज़र को बे-गम

जीता है दिल, गम के आंसू चुरा कर

वहां तेरी है बस्ती, यहाँ उजड़ा चमन है

वहां गाता है सावन, गीत भवरों से लेकर

दिखते हैं हम …………………


न ढलके गें ये, बून्द बन के जमीन पर

ना कभी जुबां को, शिकायत होगी

जी लेंगे हम , अकेले मे घुट के

होठों पे हरदम तेरी तारीफ़ होगी

दिखते हैं हम …………………


जहाँ कड़की थी बिजली, मेरे तन को जला कर

जहाँ बरसा था सावन, मेरे मन को रुला कर

पास रहती हैं अब भी, कुछ यादें तुम्हारी

ले लेना उन्हें तुम, फुरसत में कभी आ कर 

दिखते हैं हम ……………………


गीत गाते हैं वो, मैने लिखी कलम से,

सँवरते हैं वो, गहना अपना समझ कर

लूट लेना कभी भी, दिल चाहे तुम्हारा

बस एक बार सीने से, अपने लगा कर

दिखते हैं हम………………………


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