तुम सा हसीँ
तुम सा हसीँ
"तुम सा हसीँ"
तुम सा हसीँ, ना देखा कहीं,
मानो ना मानो, है हम को यकीं
मेरे महबूबा हो, मेरी महजवीं ,
मानो ना मानो, है हम को यकीं I
जब से मिले हम, ये क्या हो गया,
जाने मेरा दिल, कहाँ खो गया,
रखती हो क्या, तुम जादू की छड़ी,
मानो ना मानो है हम को यकीं I
जो तुम ने कहा, मेरे मन को छुआ,
मोहब्बत मे जाने ये क्या हो गया,
कहती हूँ तुम को, ना कहना कहीं,
मानो ना मानो है हम को यकीं I
कल सपने मे देखा, तुम मेरे हुए,
खुली चांदनी, रंग बिखेरे हुए,
कहीं बैठी थी तुम, सिमटी हुईI
मानो ना मानो है, हम को यकीं<
तुम सा हसीं, ना देखा कहीं I
रचियता
( केo केo कश्यप )